सेवा में,
श्रीमान मुख्यमंत्री जी
उत्तर प्रदेश, लखनऊ
विषयः उत्तर प्रदेश कारागार विभाग में उपजेलर से जेलर पद पर पदोन्नति (वर्ष 2019-2020) के लिए होने वाले डीपीसी में भ्रष्टाचार के संबंध में।
महोदय,
सादर अनुरोध कर अवगत कराना चाहता हूं कि उत्तर प्रदेश कारागार विभाग में उपजेलर से जेलर पद पर पदोन्नति (2019-2020) के लिए लगभग 23 वर्ष सर्विस पूरी करने पश्चात डीपीसी में नाम गया है।
जिसमें जेष्ठता के आधार पर कुल 33 उपजेलरों के नाम पर डीपीसी होना चाहिए। लेकिन लगभग 50 उपजेलरों के नाम डीपीसी के लिए कारागार मुख्यालय से शासन द्वारा मांगे गये हैं। यह प्रक्रिया नियम विरूद्ध है।
सन 1995-1998 में मध्य विभाग में उपजेलरों के पद पर जिन लोगों ने अपना योगदान प्रस्तुत किया था, उनका लगभग 20-24 वर्ष तक का कार्यकाल हो गया है। किन्तु किन्ही कारणों से अभी तक पदोन्नति न होने के कारण उपजेलर के पद पर ही बने हुये हैं, यदि समय से पदोन्नति हो गई होती तो वे आज जेल अधीक्षक के पद पर आसीन होते। इन जेलरों की गलती सिर्फ यह है कि वे भ्रष्टाचारी सिस्टम को खुश नहीं कर पाये। विभाग ने इनपर अनेक आरोप लगाकर उन्हें पदोन्नति से वचित करने का षड़यंत्र किया है। जबकि दण्ड पाये उपजेलरों को पदोन्नति देकर जेलर बनाया गया है। दरअसल अपनी ईमानदारी के चलते तत्कालीन उपजेलरों ने अपने ऊपर लगे दण्डों को समाप्त करने का प्रयास नहीं कर पाये। जिसका खामियाजा उन्हें सन् 2018-2019 की डीपीसी में मिला। इस डीपीसी में मात्र चार उपजेलरों को जेलर के पद पर पदोन्नति मिली।
नये डीपीसी को कमाई का जरिया बनाने के लिए कारागार षासन व प्रषासन के तिकडमबाज कर्मचारी और अधिकारियों ने 50 उपजेलरों को पदोन्नति का लालच देकर के लामबंद किया है और कहा कि जिनकों विगत 10 वर्षों में एक भी दण्ड नहीं मिला है। वे सब 50 लाख रूपये एकत्र कर के दे तो उन लोगों को जेष्ठता के आधार को समाप्त करते हुए सन 1918 के पश्चात आये हुये उपजेलरों के पदोन्नति पर विचार करते हुये उन्हें पदोन्नत करा दिया जायेगा। 50 उपजेलरों ने 25 लाख की पहली किस्त कारागार प्रशासन को दे भी दिया है। दूसरी किस्त पदोन्नति के बाद दिया जायेगा। यह भ्रष्टाचारी कुचक्र श्री आनंद कुमार, आईजी जेल के संज्ञान में नहीं है। उनकों भ्रमित करके समझाया जा रहा है कि मुख्यमंत्री का सुझाव है कि पूर्व की भांति पदोन्नति की प्रक्रिया पूरी की जाये। जबकि यह अन्य उपजेलरों के लिए बहुत ही बड़ा अन्याय होगा।
भ्रष्टाचार का आलम यह है कि सन 2018 में रिटायरमेंट के आखिरी दिन श्री पीके मिश्रा, आईजी जेल ने सैकड़ों जेलर व उपजेलरों के स्थानातंरण का आदेश जारी कर दिया था। जिससे शासन की छवि बहुत ही घूमिल हुई थी। मीडिया द्वारा शासन की कार्यप्रणाली पर भी उंगली उठाई गई थी। तब इस पर आप द्वारा जांच कराई गई थी। इस जांच से खुलासा हुआ था कि स्थानातरण पर भ्रष्टाचार हुआ था जिसमें कारागार शासन व प्रशासन के तिकडमी कर्मचारी व अधिकारी संलग्न थे।
सन 2019-2020 में जेलर से जेलअधीक्षक पद पर जो पदोन्नति हुये थे, उसमें भी बड़ा भ्रष्टाचार हुआ है। पदोन्नति पाये जेलरों को कारागार ष्षासन व प्रषासन द्वारा अपने कार्यालय व आवास पर बुलाकर लम्बी रकम की वसूली कर के उनके दण्डों को समाप्त किया गया और ऐसे जेलरों को जेल अधीक्षक के पद पर पदोन्नति दे दी गई। इसके पष्चात विगत एक माह से कारागार ष्षासन व प्रषासन की मिली भगत से स्थानातरण सूची जारी होने से पहले सभी को खबर हो गई है कि नवआगुतुक अधीक्षक कहां ज्वाइन करेगें। भ्रष्टाचार की जड़ कहां तक फैली है। इससे ज्ञात हो रहा है कि हर अधीक्षक अपने रेट के स्तर से अपना फल/जेल खरीद रहा है। आपसे निवेदन है कि इस तरह के भ्रष्टाचारियों पर लगाम लगाये जो सरकार की छवि को नुकसान पहुंचा रहे हैं।
आपसे अनुरोध है कि उपजेलर से जेलर पद के लिए होने जा रही डीपीसी 2019-2020 को रोक कर उसकी जांच कराई जाये तथा दोषियों को उनके पद से अलग कर साफ छवि के कर्मचारियों व अधिकारियों को अधिकार देतें हुये सन 1995 से अभी तक पदोन्नति न पाये हुये उपजेलरों के दण्डों की जांच कराकर, यदि दण्ड गंभीर नहीं हैं तो उन्हें समाप्त कर अथवा सन 2020 के पिछले 10 वर्षों को संज्ञान में लेते हुए कम से कम एक वृहद दण्ड अथवा दो लघु दण्ड अथवा सन 2020 के पिछले पांच वर्ष में एक भी दण्ड न होने पर उपजेलर से जेलर के पद पर पदोन्नत करने पर विचार करने की कृपा करें। जिससे उन सभी उपजेलरों को न्याय मिल सके। तथा उनका परिवार आपके प्रति कृतज्ञ रहे। इस लिए आपसे करवद्ध प्रार्थना है कि अभी होने वाले डीपीसी को रोकते हुए जांच कर नये सिरे से डीपीसी करवाने की कृपा करें।
सादर
श्रवण कुमार गुप्ता
सचिव
अनंत फाउंडेशन